एनपीआर के दौरान खुद के घर का नहीं देना होगा प्रमाण
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) अपडेट करने के दौरान किसी मुखिया को अपने घर का प्रमाण साबित करने के लिए गणना करने वाली टीम को कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। जिला प्रशासन ने साफ किया है कि सरकार से मिले निर्देश के अनुसार एनपीआर अपडेशन के दौरान व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी को ही सही माना जाएगा, उसे कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। हां अपडेशन में मुखिया को मकान नम्बर, मकान की हालत, भोजन में प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख अनाज, स्वामित्व की स्थिति, पेजयल, रसोई, शौचालय, ईधन, प्रकाश और गंदे पानी के निकास समेत 31 सवालों के जवाब देने होंगे। इन सभी सवालों के जवाब के बाद ही मुखिया का मकान एनपीआर में दर्ज होगा। यह गिनती 18 मई से 30 जून तक चलेगी। गिनती पूरी हो जाने के बाद इंसानों की गिनती की जाएगी।
एनपीआर के लिए गोरखपुर में छह मास्टर ट्रेनर तैनार किए गए हैं। ये सभी मास्टर ट्रेनर 147 फील्ड ट्रेनरों को तैयार करेंगे। ये फील्ड ट्रेनर प्रगणकों को प्रशिक्षित करेंगे। इसकी मॉनीटरिंग के लिए 17 चार्ज अफसर होंगे। जार्च ऑफिसर के रूप में जिले के आठों जिला पंचायत के अधिशासी अधिकारी, सभी तहसील के तहसीलदार, नगर आयुक्त के साथ ही एयरफोर्स और जीआरडी के अफसर अपने-अपने क्षेत्र में गिनती कराएंगे।
एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर)
इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। एनपीआर में लोगों द्वारा दी गई सूचना को ही सही माना जाता है। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता।
एनपीआर के मुताबिक स्थानीय निवासी कौन है
जनसंख्या रजिस्टर में शामिल करने के लिए स्थानीय निवासी का अर्थ किसी स्थान पर 6 महीनों या उससे ज्यादा समय से रह रहा व्यक्ति है। उस स्थान पर अगले 6 महीनों या उससे ज्यादा वक्त तक उसी स्थान पर रहने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को भी स्थानीय निवासी माना जाएगा। इसमें लोगों द्वारा दी गई सूचना को ही दर्ज किया जाएगा।
गिनती के दौरान मुखिया को किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज नहीं देना है। प्रगणक को मुखिया जो जानकारी देगा उसे सही माना जाएगा।